Day: दिसम्बर 2, 2019

प्रेम का दूसरा पहलु

यीशु मसीह के समय रोमी सरायों की प्रतिष्ठा इतनी खराब थी कि रब्बी लोग उनमें मवेशियों को भी रखने की अनुमति नहीं देते था l ऐसी बुरी परिस्थितियों का सामना होने पर, मसीही यात्री आतिथ्य के लिए आमतौर पर अन्य विश्वासियों को ढूंढ़ते थे l

उन आरंभिक यात्रियों में झूठे शिक्षक होते थे जो इस बात से इनकार करते थे कि यीशु ही मसीहा/अभिषिक्त थे l इस वजह से 2 यूहन्ना की पत्री अपने पाठकों से कहता है कि आतिथ्य देने से इनकार करने का भी समय है l यूहना ने एक पिछली पत्री में कहा था कि ये झूठे शिक्षक “पिता और पुत्र का इनकार करनेवाले - ख्रीष्ट विरोधी थे” (1 यूहन्ना 2:22) l 2 यूहन्ना में उसने इस पर विस्तार से पाठकों को बताया कि जो यीशु को मानता है कि वह मसीहा है “उसके पास पिता भी है और पुत्र भी” (पद.9) l

फिर उसने चेतावनी दी, “यदि कोई तुम्हारे पास आए और यह शिक्षा न दे, उसे न तो घर आने दो और न नमस्कार करो” (पद.10) l झूठे सुसमाचार का प्रचार करनेवाले की पहुनाई करना वास्तव में लोगों को परमेश्वर से अलग रखने में मदद करेगा l

यूहन्ना की दूसरी पत्री हमें परमेश्वर के प्रेम का “दूसरा पहलु” दिखाता है l हम एक ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो सभी का खुली बाहों से स्वागत करता है l लेकिन सच्चा प्यार उन लोगों को सक्षम नहीं करता जो धोखे से खुद को और दूसरों को धोखा देते हैं l परमेश्वर पश्चाताप के साथ आनेवालों के चारों ओर अपनी बाहें लपेटता है, लेकिन वह कभी भी  झूठ को गले नहीं लगाता है l